ज्योतिष शास्त्र की भारतीय पद्धति में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र शनि, राहु तथा केतु को ही मान्यता प्राप्त है। अनुभवों में पाया गया है कि रत्न परामर्श के समय उपरोक्त नवग्रहों को आधार मान कर दिया गया परामर्श अत्यधिक प्रभावी तथा अचूूक होता है। यहाँ पर हम इन्हीं नवग्रहों के आधार पर नवरत्न माला के बारे में परिचय प्राप्त करेंगे। असली नवरत्न माला में अनेक गुण पाये जाते हैं इसे धारण करने मात्र से अनेक सफलता एवं सिद्धियां प्राप्त होती हैं इसमें अपनी एक अद्भुत विशेषता होती है तथा अनेक तात्विक संरचनायें होती है
इसकेे अलग-अलग दानें अपने से सम्बन्धित ग्रहों की रश्मियों को अपने आप समाहित करके धारण करने वाले को लाभ प्रदान करती हैं इस नवरत्न माला में वैज्ञानिक आधार पर निम्न तात्विक सरंचाना पायी जाती हैं जैसे- अल्यूमिनियम आक्सीजन, क्रोमियम तथा लौह, कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, बेरोलियम, मिनयिम, फ्लोरीन, हाइड्रोक्सिल, जिक्रोनियम, आदि तात्विक संरचनायें पायी जाती हैं। समय-समय पर हुए शोध कार्यो तथा ज्योतिषियों को हुए विशेष अनुभवों के आधार पर प्रत्येक रत्न या रत्न नवग्रहों में से किसी एक ग्रह विशेष से सम्बद्ध किया गया है। प्रस्तुत माला में सारे ग्रहों के रत्नों को समाहित किया गया है इस माला को धारण करने से अनेक लाभ हैं जैसे यश, सम्मान, वैभव, भौतिक समृद्धी में फायदा तथा कफ रोग, शीत रोग, ज्वर रोग आदि रोगों में लाभ होगा। तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।